यज्ञ का मानव जीवन में वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व : स्वामी धर्मदेव

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आर्य समाज में 11 कुंडीय यज्ञ संपन्न

सफीदों, (एस• के• मित्तल) : आर्य समाज मंदिर सफीदों के तत्वावधान में मासिक वैदिक सत्संग का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में स्वामी धर्मदेव महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। कार्यक्रम का संयोजन प्रधान यादविंद्र बराड़ व मंत्री संजीव मुआना ने किया। कार्यक्रम में भजनोपदेशक पंडित अभिषेक आर्य, (सहारनपुर उत्तर प्रदेश) व प्रवचनकर्ता सुनील देव शास्त्री शिरकत करके आर्य समाज की महिमा का गुणगान किया। इस मौके पर 11 कुंडीय यज्ञ का आयोजन किया गया। यज्ञ में काफी श्रद्धालुओं ने आहुति डालकर समाज की सुख-शांति की कामना की। अपने संबोधन में स्वामी धर्मदेव महाराज ने कहा कि यज्ञ का मानव जीवन में वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व है। स्वामी दयानंद सरस्वती ने वेदों के सच्चे स्वरूप को उजागर करते हुए यज्ञ को श्रेष्ठतम कर्म बताया है, जो व्यक्ति, समाज और पर्यावरण तीनों के लिए लाभकारी है। यज्ञ से प्रयोग की जाने वाली हवन सामग्री वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा और ऑक्सीजन का संचार करती हैं। यज्ञ की अग्नि और मंत्रों की ध्वनि से उत्पन्न सकारात्मक कंपन व्यक्ति के मन को शांत करते हैं और मानसिक तनाव को दूर करते हैं। यज्ञ सामूहिक रूप से किया जाता है, जो समाज में एकता, सहयोग और परोपकार की भावना को मजबूत करता है। यज्ञ के माध्यम से देव पूजा व दान के दोनों उद्देश्यों को पूरा किया जाता है। यज्ञ के माध्यम से व्यक्ति अपने स्वार्थ को छोड़कर ‘इदं न मम’ (यह मेरा नहीं है) की भावना को अपनाता है, जिससे उसमें त्याग, अनुशासन और समर्पण जैसे सद्गुणों का विकास होता है। कार्यक्रम में समापन पर ऋषि लंगर का आयोजन किया गया, जिसमें सैंकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।

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