आज Ahoi Ashtami 2025 है, जो खासकर संतान की लंबी उम्र और माता-पिता की भलाई के लिए मनाया जाता है। इस दिन माताएं अहोई माता की पूजा और व्रत करती हैं और विशेष उपायों से इस व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करती हैं।
शुभ मुहूर्त:
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व्रत प्रारंभ समय: संध्या से पूर्व या दोपहर बाद
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पूजन का समय: संध्याकाल, जब सूर्यास्त के बाद वातावरण शांत और पवित्र माना जाता है
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व्रत समाप्ति/पारण: अगले दिन सूर्योदय से पहले
पूजा विधि:
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घर के मंदिर या अहोई माता के चित्र/लकड़ी की आकृति के सामने साफ जगह पर पूजा स्थल बनाएं।
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16 गिन्नियों (मूंग की) को पानी में उबालकर उन्हें माता को समर्पित करें।
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पूजा में दूध, जल, हल्दी, फूल और फल का प्रयोग करें।
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व्रती मां से अपने संतान की लंबी उम्र और कल्याण की कामना करें।
मंत्र और आरती:
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व्रत के दौरान माता अहोई के मंत्र का जाप करें, जैसे —
“ॐ अहोई माता नमः”
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आरती के समय दीप जलाकर माता को अर्घ्य दें और भजन-संकीर्तन करें।
पारण:
व्रत का पारण सूर्योदय से पहले करें। मूंग की गिन्नियों और पूजा में प्रयुक्त सामग्री को गरीबों या जरूरतमंदों में दान करने से व्रत का फल पूर्ण होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि श्रद्धा और विधि के साथ किया गया अहोई अष्टमी व्रत संतान और परिवार के लिए मंगलकारी होता है और माता अहोई की विशेष कृपा प्रदान करता है।
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